भारत की जलवायु गेंदे की फूल की खेती (Genda phool ki kheti) के लिए काफी उपयुक्त है। हमारे देश में इसकी खेती सबसे अधिक की जाती है।

फूलों की खेती से कमाएं लाखों रुपए, कैसे करें गेंदे के फूल की खेती? यहां जानें

Genda phool ki kheti: भारत की जलवायु गेंदे की फूल की खेती (Genda phool ki kheti) के लिए काफी उपयुक्त है। हमारे देश में इसकी खेती सबसे अधिक की जाती है। इस फूल की मांग पूजन, सजावट, इत्र बनाने के लिए खूब होती है। बाकी फूलों के मुकाबले गेंदा का फूल बेहद खास और महत्वपूर्ण है। सामाजिक, धार्मिक और शादी-विवाह की सजावट के लिए इस फूल का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। यहीं नहीं इसका प्रयोग कई तरह की दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है। 


बात करें खेती की तो गेंदा की खेती (Genda ki kheti), किसानों अधिक लाभ देने में सक्षम होती है। इसकी खेती कम लागत भी अधिक उत्पादन और मुनाफा देती है। अगर आप उन्नत विधि से फूलों की खेती से करते हैं तो पारंगत खेती की तुलना में कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। 

तो आइए, द रूरल इंडिया के इस लेख में गेंदे के फूल की खेती (Genda phool ki kheti) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

इस लेख में आप जानेंगे

  • गेंदा की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

  • इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

  • गेंदे के फूल की किस्में

  • भूमि का चुनाव और तैयारी

  • गुड़ाई/कटाई और छंटाई

  • फूलों की तुड़ाई

  • लागत, मुनाफा और मार्केटिंग


गेंदा की फूल पर नज़र 

गेंदा एक पीले रंग का फूल है। इसकी दूसरे किस्मों का रंग लाल और सफेद भी होता है। वास्तव में यह फूल एक ना होकर फूलों का गुच्छा होता है। इसकी हर एक पत्ती एक फूल है। इस फूल को आप सजावटी फूल भी कह सकते है। 


बता दें, गेंदा का वैज्ञानिक नाम टैजेटस स्पीशीज है। भारत के विभिन्न भागों में खासकर मैदानी क्षेत्रों में इस फूल को व्यापक स्तर पर उगाया जाता है। बाजार में गेंदे के फूल की मांग साल भर बनी रहती है।  


गेंदा की खेती के लिए आवश्यक जलवायु

भारत में इसकी खेती कहीं भी की जा सकती है। इसकी खेती के लिए शीतोष्ण और सम-शीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होता है। 14.5 से 28.6 डिग्री तापमान को फूलों की बढ़ोत्तरी और गुणवत्ता के लिए अच्छा माना जाता है। 

 

इस फूल की खेती विशेष तौर पर मुम्बई, पुणे, बैंगलोर, मैसूर, चेन्नई, कलकत्ता और दिल्ली में की जाती है। 


खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे तो गेंदा की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। लेकिन इसकी खेती के लिए जमीन को उपजाऊ, भुरभुरी और साथ ही भूमि का पीएच मान 7 से 7.5 के बीच में होना जरूरी है।  


गेंदे के फूल की प्रजातियां

मुख्य रूप से गेंदा फूल की दो प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है।

  1. अफ्रीकन गेंदा

  2. हाजारिया गेंदा

इन किस्में के फूलों के पौधों की ऊंचाई लगभग 60-80 सेंटीमीटर तक होती है। यह विभिन्न आकार, रंगों और आकर्षक वाले होते है। लेकिन वहीं हाजारिया गेंदा के पौधे की अधिक ऊंचे नहीं होती है। इसकी ऊंचाई कम से कम 30 सेंटीमीटर से 3 मीटर तक होती है। 


गेंदे के फूल की अन्य किस्में

फ्रेंच किस्में- इस किस्म में गेंदा के फूल अधिकांशत: बौने तथा छोटे होते हैं और साथ ही इन  पौधों की ऊंचाई लगभग 20-30 से.मी. तक होती है।


गेंदे के फूल की अन्य किस्मों में रस्टी रेड, बटरस्कॉच, बटर बॉल, फायर ग्लो, रेड ब्रोक्रार्ड, सुसाना फ्लेमिंग, फायर डबल, स्टार ऑफ इंडिया, क्राउन ऑफ गोल्ड, येलो सुप्रीम, जाईट डबल अफ्रीकन, नारंगी जाइंट, डबल पीला, क्रेकर जेक, गोल्डन एज कलकतिया आदि प्रमुख हैं।

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गेंदा के लिए खेत की तैयारी

गेंदे की खेती करने से पहले आपको अपनी भूमि को तीन से चार बार जुताई करें। जिससे भूमि भुरभुरी हो जाए और फिर उसे कुछ समय के लिए ऐसी ही छोड़ दें। इसके बाद खेत में 150-200 क्विंटल गोबर खाद और दीपक व अन्य कीटों के बचाव हेतु 4-5 क्विंटल नीम की खाली भूमि में अच्छे से मिला दें। पौधे के रोपण से पहले खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में अच्छे से बांट लें, जिससे आपको खेत में सिंचाई और अन्य कार्य करने में आसानी हो सकें। ध्यान रखें कि गेंदे की खेती में पानी की आवश्यकता कम होती है। इसलिए सर्दियों के समय में 10-15 दिनों के अंतर पर और वहीं गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतराल पर ही खेती की सिंचाई करें। 


फसल की गुड़ाई/कटाई और छंटाई

पौधों के अधिक विकास के लिए रोपण के बाद से ही खेत में कटाई-छटाई करना शुरू कर दें। रोपण के बाद से ही समय समय पर खरपतवारों को बाहर निकालते रहें। फूलों आने के समय पौधों के आस-पास मिट्टी चढ़ा दें, जिससे की पौधों की अधिक शाखाएं बाहर निकल सकें। 


शुरुआती निराई 20-26 दिन बाद और दूसरी निराई 40-45 दिन बाद करें। जब फसल को लगभग 45 दिन हो जाए तो पौधे की शीर्ष कलिका को 2-3 सेंटीमीटर काटकर बाहर निकाल दें। ऐसा करने से कलियों का अधिक विकास होता है और साथ ही फूलों की मात्रा भी बढ़ती है। 


फूलों की तुड़ाई/ कटाई

खेती में 2-3 महीनों के बाद गेंदे के फूल आने  शुरू हो जाते है। लेकिन फूलों को तोड़ने से पहले खेत की हल्की सिंचाई जरूर कर लें, जिससे की फूलों का तापमान बना रहे। जब फूल अच्छे से खिल जाए तब ही फूलों को तोड़े। वैसे इन्हें तोड़ने का सही समय सुबह या शाम का होता है। 


गेंदा की खेती में लागत और कमाई

गेंदा एक ऐसा फूल है जिसमें सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसकी फूलों को आप सालभर में 10-12 बार तुड़ाई कर सकते हैं। अगर बात करें अफ्रीकन गेंदा की तो प्रतिहेक्टेयर 18-20 टन फूल प्रतिवर्ष उत्पादन हो जाता है। फ्रेंच गेंदा का भी लगभग 10-12 टन प्रति हेक्टर प्रतिवर्ष उत्पादन हो जाता है। 


इसकी मांग बड़े शहरों में बढ़ती जा रही है। गेंदा की खेती (Marigold farming) किसानों के लिए सबसे अच्छा कृषि व्यवसाय है। इससे आप नगदी पैसा अर्जित कर सकते हैं। 


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