Top 5 Breeds of Chickens in India: भारत में सदियों से मांस और अंडों के लिए मुर्गियों का पालन (murgi palan) किया जाता है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। किसानों के लिए खेती के साथ मुर्गी पालन का व्यवसाय फायदे का सौदा है। आप कम लागत में भी मुर्गी पालन का बिजनेस आसानी से कर सकते हैं।
भारत में मुर्गियों की लोकप्रिय 5 नस्लें
1. असील नस्ल
इस नस्ल को उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रेदश और राजस्थान में सबसे ज्यादा पाला जाता है। इसे आमतौर पर मांस के लिए ही पाला जाता है। इसकी अंडे देने की क्षमता अन्य मुर्गियों की तुलना में कम होती है। नर का वजन 4 से 5 किलोग्राम तक होता है। मादा का वजन 3 से 4 किलो तक होता है।
2. कड़कनाथ नस्ल
कड़कनाथ एक कालमासी नस्ल की मुर्गी है। यह मुर्गी की औषधीय नस्ल है। इसका रंग, खून, मांस, अंडा सब कुछ काला होता है। यह मूलतः मध्य प्रदेश की झाबुआ जिले की प्रजाति है। इसका मांस और अंडा काफी मंहगा बिकता है।
3. ग्रामप्रिया नस्ल
इस नस्ल का पालन ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा किया जाता है। इस नस्ल को अंडे और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. यह एक साल करीब 210 से 225 अंडे देती है। इसका वजन करीब 1.5 से 2 किलो होता है।
4. कैरी श्यामा नस्ल
यह कड़कनाथ की तरह ही एक कालमासी नस्ल है। इसका भी रंग, खून, मां, अंडा सब कुछ काला होता है। यह भी एक औषधीय नस्ल है। इसका पालन मध्य प्रदेश सहित गुजरात और राजस्थान में भी किया जाता है।
5. वनराजा
यह देसी मुर्गियों की सबसे पुरानी नस्ल मानी जाती है। हालांकि इसकी लोकप्रियता अब थोड़ी कम है। यह साल में 120 से 130 अंडे तक दे देती है।
आइए, अब मुर्गी पालन की कुछ बेसिक जानकारियां जान लेते हैं।
मुर्गी पालन शुरू कैसे करें (murgi palan kaise kare)
मुर्गी पालन छोटे स्तर से शुरू करें और धीरे-धीरे बढ़ाएं।
पहले ही आवास, उपकरण, दाने का प्रबंध करें।
फार्म ऊंचे स्थान पर बनाएं, जिससे नमी वहां तक नहीं पहुंचे।
चूजों के पंख निकलने तक ब्रूडर से गर्म रख सकते हैं।
बिजली और स्वच्छ पानी का व्यवस्था करें।
आवास आरामदायक और हवादार बनाएं।
टीकाकरण समय से कर लें।
मुर्गियों को संतुलित आहार दें।
कृमिनाशक दवा हर दो माह में दें।
मुर्गों की बिक्री के लिए पहले से ही बाजार का रिसर्च कर लें।
पशुपालन विभाग से सरकारी योजनाओं ओर सुविधाओं के बारे में जरूर संपर्क करें।
मुर्गियों के लिए आवास और बिछावन की व्यवस्था
आवास व्यवस्था
फार्म में तीन प्रकार के आवास प्रयोग किए जा सकते हैं।
ब्रूडर्स- चूजों को जन्म से 8 सप्ताह तक रखते हैं।
पालनगृह- ग्रोअर्स को 8 से 18 सप्ताह तक रखते हैं।
लेयर गृह- अंडे देने वाली मुर्गियों को रखा जाता है।
बिछावन व्यवस्था
बिछावन के रूप में सूखा, मुलायम, धूल रहित, फफूंद रहित, नई लकड़ी का बुरादा, पुआल, धान भूसी उपयोग करें।
बिछावन की मोटाई 10 सेमी रखें।
वर्षा ऋतु से पहले बिछावन में 1 किलोग्राम चूना डालें।
अमोनिया जैसी गंध आने पर 500 ग्राम सुपर फॉस्फेट प्रति 15 वर्गफीट बिछावन में मिलाएं।
मुर्गी के लिए उपयुक्त तापमान 60 से 75 फॉरेनहाइट तक होता है।
फर्श पक्का, चिकना बाहर की जमीन से 30 सेमी. ऊंची होनी चाहिए।
प्रति मुर्गी के लिए 2 और भारी नस्ल की मुर्गी के लिए 3 वर्गफीट स्थान की जरूरत होती है।
ये तो थी मुर्गी पालन कैसे करें (murgi palan kaise kare) और भारत में मुर्गियों की लोकप्रिय 5 नस्लें की बात। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी शेयर करें।
ये भी पढ़ें-
- कड़कनाथ मुर्गी पालन कैसे करें? जानें कड़कनाथ की पूरी जानकारी
- बत्तख पालन से कमाएं लाखों का मुनाफा, यहां जानें कैसे?
Post A Comment:
0 comments: