
vermicompost fertilizer: केंचुआ खाद (earthworm manure) को आम भाषा में वर्मी कम्पोस्ट (vermicompost) भी कहते हैं। यह पोषक पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उरर्वक है। पोषक तत्वों के अलावा इसमें कुछ हार्मोंस, एंजाइम्स भी पाए जाते हैं जो पौधों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। केंचुआ खाद दिखने में हल्का काला और दानेदार होता है।
आसान भाषा में कहें तो केंचुआ खाद (earthworm manure) मिट्टी, गोबर, खरपतवार, सूखी पत्तियां, फल एवं सब्जियों के छिलके एवं केंचुओं से तैयार किया जाने वाला एक जैविक खाद है। इसमें पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन, पोटाश और फॉस्फोरस के साथ कई अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।
तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में वर्मी कम्पोस्ट (vermicompost) के बारे में विस्तार से जानें।
जैविक खेती के बढ़ते चलन के साथ वर्मी कम्पोस्ट(vermicompost) की मांग भी बढ़ने लगी है। इन दिनों बाजार में विभिन्न कंपनियों के केंचुआ खाद उपलब्ध हैं। लेकिन इस खाद को आप अपने घर पर आसानी से बना सकते हैं। जिसमें लागत भी कम आती है और बाजार से वर्मी कम्पोस्ट (vermicompost) खरीदने की भी जरूरत नहीं होती है।
केंचुआ खाद तैयार करने का आसान तरीका
वर्मीकंपोस्ट (vermicompost) तैयार करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी या प्लास्टिक का टैंक/बक्सा लें।
पानी के निकलने के लिए छोटे छेद बनाएं।
इसके बाद करीब 3 इंच मोटी बालू की परत बिछाएं।
बालू की परत के ऊपर करीब 6 इंच की मोटी मिट्टी की परत बिछाएं और पानी छिड़क कर मिट्टी को 50 से 60 प्रतिशत नम करें।
अब टैंक/बक्से में आवश्यकता के अनुसार केंचुएं डालें।
इसके ऊपर पत्ते, खरपतवार, सूखी लकड़ियां, फल एवं सब्जियों के छिलके, आदि की परत लगाएं।
अब पुराने गोबर की मोटी परत बनाएं और इसे खरपतवार, सूखी पत्तियों, मिट्टी आदि से ढंके।
इसे ढकने के लिए बोरे, ताड़ या नारियल के पत्तों आदि का प्रयोग करें।
आवश्यकता के अनुसार बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें।
7 से 8 दिनों के अंतराल पर इसे पलटते रहें।
करीब 45 दिनों बाद केंचुआ खाद तैयार हो जाएगा।
अब आप इस खाद से केंचुओं को अलग कर के खाद को फसलों में प्रयोग कर सकते हैं।
केंचुआ खाद (vermicompost) के निर्माण के समय रखें इन बातों का ध्यान
तेज धूप से केंचुओं का बचाव करना चाहिए।
खाद का निर्माण किसी छांव वाले स्थान पर करें।
खाद तैयार करने वाले टैंक का निचला हिस्सा सख्त होना चाहिए। जिससे केंचुए जमीन के अंदर न जा सकें।
पदार्थों में करीब 40 से 50 प्रतिशत तक नमी होनी चाहिए।
केंचुओं को चींटी, कीड़े-मकोड़े, मुर्गियां एवं अन्य पक्षियों से बचा कर रखना चाहिए।
वर्मी कम्पोस्ट (vermicompost) इस्तेमाल करने के बाद खेत में रासायनिक उर्वरकों एवं कीट नाशकों का प्रयोग न करें।
वर्मीकम्पोस्ट के फायदे (केंचुआ खाद के फायदे)
काला एवं दानेदार नजर आने वाला केंचुआ खाद (vermicompost) फसलों के लिए बहुत लाभदायक है। केवल फसलें ही नहीं, यह खेत की मिट्टी के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
फसलों में कई तरह के पोषक तत्व, हार्मोन एवं एंजाइम की पूर्ति होती होती है।
इसमें जीवांश की मात्रा अधिक होती है। जिससे भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है।
मिट्टी के पीएच स्तर को सुधारने में मदद मिलती है।
गोबर की खाद एवं अन्य कम्पोस्ट खाद की तुलना में केंचुआ खाद में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फेट एवं पोटाश पाया जाता है।
फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है और उच्च गुणवत्ता के फसल प्राप्त होते हैं।
पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और भूमि के अंदर वायु संचार सुचारु रूप से होता है।
इसके निर्माण में किसी तरह के हानिकारक रसायनों की आवश्यकता नहीं होती है।
ये तो थी, केंचुआ खाद बनाने का तरीका और वर्मीकंपोस्ट के फायदे की बात। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें।
ये भी पढ़ें-
- जैविक खेती कैसे शुरू करें? यहां जानें
- लाल मूली की खेती से कमाएं ज्यादा मुनाफा, यहां जानें खेती की संपूर्ण जानकारी
Post A Comment:
0 comments: